[문학]나의 애독시(1163) : 늙음 / 최영철
- 서건석
- 2020.11.05 06:06
- 조회 143
- 추천 0
♬ 늙음 / 최영철
늘 그럼 하고 고개를 끄덕이는 것
늘 그럼그럼 어깨를 토닥여 주는 것
늘 그렁 눈에 밟히는 것
늘 그렁그렁 눈가에 맺힌 이슬 같은 것
늘 그걸 넘지 않으려 조심하는 것
늘 그걸 넘지 않아도 마음이 흡족한 것
늘 거기 지워진 금을 다시 그려 넣는 것
늘 거기 가버린 것들 손꼽아 기다리는 것
늘 그만큼 가득한 것
늘 그만큼 궁금하여 멀리 내다보는 것
늘 그럼그럼
늘 그렁그렁
◑ 이 시에서 늙는다는 것은 다만 삶이 쇠퇴하고 하강하는 게 아니라는 걸 시인은 말하고 싶어 하는 거겠지요. 늙는다는 것은 무한한 긍정에 이르고 모든 것이 원만해지는 경지에 다다른다는 것을 말하려고 하는데, 대체로 말놀이는 허황된 느낌을 주기 일쑤인데도 이 시인의 말놀이에서 우리가 고개를 끄덕이는 이유는 무엇일까요? 그건 시의 전편에 깔려 있는 연민의 눈 때문이 아닐까요. 연민은 날카롭지 않고 넘치지 않으며 언제나 둥그스름하지요. 우리 모두가 늘그막에 ‘늘 그럼그럼’ 고개를 끄덕이고 ‘그렁’한 눈으로 세상을 볼 수 있고 또 보아야 한다면 참 좋겠지요. 모두들 그렇게 지내고 있으신 거지요? (펌)
- 전체1건(128.21 KB) 모두 저장
1,768개의 글
글 번호 | 제목 | 작성자 | 작성일 | 조회 |
---|---|---|---|---|
1768 | 서건석 | 24.05.20 | 7 | |
1767 | 서건석 | 24.05.19 | 5 | |
1766 | 서건석 | 24.05.18 | 10 | |
1765 | 서건석 | 24.05.17 | 9 | |
1764 | 서건석 | 24.05.16 | 10 | |
1763 | 서건석 | 24.05.15 | 12 | |
1762 | 엄동일 | 24.05.14 | 29 | |
1761 | 서건석 | 24.05.14 | 20 | |
1760 | 서건석 | 24.05.13 | 20 | |
1759 | 서건석 | 24.05.12 | 14 | |
1758 | 서건석 | 24.05.11 | 20 | |
1757 | 서건석 | 24.05.10 | 19 | |
1756 | 서건석 | 24.05.09 | 21 | |
1755 | 서건석 | 24.05.08 | 20 | |
1754 | 모하비 | 24.05.07 | 42 | |
1753 | 서건석 | 24.05.07 | 19 | |
1752 | 서건석 | 24.05.06 | 18 | |
1751 | 서건석 | 24.05.05 | 33 | |
1750 | 서건석 | 24.05.04 | 20 | |
1749 | 서건석 | 24.05.03 | 21 | |
1748 | 서건석 | 24.05.02 | 19 | |
1747 | 서건석 | 24.05.01 | 18 | |
1746 | 모하비 | 24.04.30 | 27 | |
1745 | 서건석 | 24.04.30 | 22 | |
1744 | 서건석 | 24.04.29 | 19 | |
1743 | 서건석 | 24.04.28 | 17 | |
1742 | 편영범 | 24.04.27 | 44 | |
1741 | 서건석 | 24.04.27 | 19 | |
1740 | 서건석 | 24.04.26 | 17 | |
1739 | 서건석 | 24.04.25 | 37 | |
1738 | 서건석 | 24.04.24 | 22 | |
1737 | 모하비 | 24.04.23 | 33 | |
1736 | 서건석 | 24.04.23 | 18 | |
1735 | 서건석 | 24.04.22 | 21 | |
1734 | 서건석 | 24.04.21 | 19 | |
1733 | 서건석 | 24.04.20 | 18 | |
1732 | 서건석 | 24.04.19 | 20 | |
1731 | 서건석 | 24.04.19 | 15 | |
1730 | 엄동일 | 24.04.18 | 40 | |
1729 | 서건석 | 24.04.17 | 17 | |
1728 | 모하비 | 24.04.16 | 30 | |
1727 | 서건석 | 24.04.16 | 16 | |
1726 | 엄동일 | 24.04.15 | 30 | |
1725 | 서건석 | 24.04.15 | 18 | |
1724 | 서건석 | 24.04.14 | 19 | |
1723 | 서건석 | 24.04.13 | 19 | |
1722 | 서건석 | 24.04.12 | 20 | |
1721 | 서건석 | 24.04.11 | 21 | |
1720 | 서건석 | 24.04.10 | 18 | |
1719 | 모하비 | 24.04.09 | 36 | |
1718 | 엄동일 | 24.04.09 | 30 | |
1717 | 서건석 | 24.04.09 | 21 | |
1716 | 서건석 | 24.04.08 | 22 | |
1715 | 서건석 | 24.04.07 | 28 | |
1714 | 서건석 | 24.04.06 | 21 | |
1713 | 서건석 | 24.04.05 | 24 | |
1712 | 서건석 | 24.04.04 | 22 | |
1711 | 서건석 | 24.04.03 | 23 | |
1710 | 모하비 | 24.04.02 | 35 | |
1709 | 서건석 | 24.04.02 | 18 | |
1708 | 엄동일 | 24.04.01 | 33 | |
1707 | 서건석 | 24.04.01 | 18 | |
1706 | 서건석 | 24.03.31 | 14 | |
1705 | 편영범 | 24.03.30 | 49 | |
1704 | 서건석 | 24.03.30 | 17 | |
1703 | 서건석 | 24.03.29 | 25 | |
1702 | 서건석 | 24.03.28 | 22 | |
1701 | 서건석 | 24.03.27 | 24 | |
1700 | 서건석 | 24.03.26 | 25 | |
1699 | 모하비 | 24.03.25 | 44 | |
1698 | 엄동일 | 24.03.25 | 46 | |
1697 | 서건석 | 24.03.25 | 18 | |
1696 | 서건석 | 24.03.24 | 22 | |
1695 | 서건석 | 24.03.23 | 23 | |
1694 | 엄동일 | 24.03.22 | 28 | |
1693 | 서건석 | 24.03.22 | 17 | |
1692 | 엄동일 | 24.03.21 | 44 | |
1691 | 서건석 | 24.03.21 | 20 | |
1690 | 서건석 | 24.03.20 | 24 | |
1689 | 모하비 | 24.03.19 | 31 | |
1688 | 서건석 | 24.03.19 | 22 | |
1687 | 서건석 | 24.03.18 | 19 | |
1686 | 서건석 | 24.03.17 | 24 | |
1685 | 서건석 | 24.03.16 | 17 | |
1684 | 서건석 | 24.03.15 | 26 | |
1683 | 서건석 | 24.03.14 | 41 | |
1682 | 서건석 | 24.03.13 | 20 | |
1681 | 엄동일 | 24.03.12 | 53 | |
1680 | 서건석 | 24.03.12 | 20 | |
1679 | 모하비 | 24.03.11 | 42 | |
1678 | 서건석 | 24.03.11 | 27 | |
1677 | 서건석 | 24.03.10 | 16 | |
1676 | 서건석 | 24.03.09 | 24 | |
1675 | 엄동일 | 24.03.08 | 46 | |
1674 | 서건석 | 24.03.08 | 20 | |
1673 | 서건석 | 24.03.07 | 19 | |
1672 | 서건석 | 24.03.06 | 22 | |
1671 | 모하비 | 24.03.05 | 27 | |
1670 | 서건석 | 24.03.05 | 18 | |
1669 | 서건석 | 24.03.04 | 18 |